कहां सो रहे थे कलम के सिपाही
-देवेंद्र गौतम
तबाही... तबाही... तबाही... तबाही.
ये किस मोड़ पर आ गए हम इलाही!
मिटाई गई कैसे हर्फे-हक़ीकत
कहां सो रहे थे कलम के सिपाही.
कभी बादशाही के अंदर फकीरी
फकीरी के अंदर कभी बादशाही.…